लोग बोलते हैं ख़ून का रिश्ता होता है अपना। लोग बोलते हैं ख़ून का रिश्ता होता है अपना।
अपने खून से रात दिन सीन्चा है तूने मुझको फिर मेरे साथ क्यूं इतना अत्यचार।। अपने खून से रात दिन सीन्चा है तूने मुझको फिर मेरे साथ क्यूं इतना अत्यचार।।
कभी कभार भूले भटके ही सही शायद आपको याद आ जाऊँ ! कभी कभार भूले भटके ही सही शायद आपको याद आ जाऊँ !
अब जान सँभालने का वक़्त गया खून के हर एक बूँद हिसाब होगा, अब जान सँभालने का वक़्त गया खून के हर एक बूँद हिसाब होगा,
हर पन्ना किताब का बयान करता है लम्हा जिंदगी का, हर पन्ना किताब का बयान करता है लम्हा जिंदगी का,
जल उठती थीं गुल बत्ती जल उठती थीं गुल बत्ती